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Wo Akhri Mulaqat – Part – 1

Wo Akhri Mulaqat – Part – 1

 

राधा, एक छोटे से कस्बे की सीधी-सादी लड़की, बचपन से ही किताबों की दुनिया में खोई रहती थी। पढ़ाई में इतनी होशियार कि पूरे जिले में नाम हुआ। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उसने घर छोड़कर एक बड़े शहर में नौकरी जॉइन की।
नया शहर, नई ज़िंदगी। दिनभर ऑफिस की भागदौड़ और फिर अकेली रातें। एक छोटा सा कमरा, जिसमें सिर्फ उसकी किताबें, एक चाय का कप और खिड़की से आती हल्की रोशनी उसका साथ निभाते। लेकिन हर शाम का ये अकेलापन उसके दिल को कहीं न कहीं चुभने लगा था।
इसी अकेलेपन के बीच, उसके ऑफिस में काम करने वाला अर्जुन उसकी जिंदगी में एक ताज़ी हवा की तरह आया। दोनों की बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती में बदली और फिर ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई, ये खुद उन्हें भी नहीं पता चला।
राधा और अर्जुन का रिश्ता किसी सपने जैसा था। लंच ब्रेक में साथ बैठकर हंसी-मजाक करना, ऑफिस के बाद घंटों सड़क किनारे चाय पीना, और फिर देर रात तक फोन पर बात करना – दोनों के लिए यही उनकी दुनिया थी।
तीन साल कब बीत गए, दोनों को पता ही नहीं चला। दोनों ने साथ जीने-मरने के सपने भी देख लिए थे। शादी की प्लानिंग तक होने लगी थी। लेकिन जिंदगी की किताब में हर पन्ना मीठा हो, ये जरूरी तो नहीं।
अचानक एक दिन अर्जुन का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया। वो शहर छोड़कर किसी और जगह जाने वाला था। ये खबर सुनकर राधा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। एयरपोर्ट पर दोनों की आँखों में आंसू थे, मगर चेहरे पर मुस्कान। वादा किया था कि ये दूरी उनके रिश्ते को और मजबूत करेगी।
अर्जुन चला गया। राधा फिर अकेली हो गई। वही ऑफिस, वही कमरा, वही खिड़की… मगर अब उस खिड़की से आती रोशनी में अर्जुन की यादें घुलने लगीं। कॉल्स कम होने लगे, मैसेजेस में वो पहले जैसी बात नहीं रही, और धीरे-धीरे सन्नाटा रिश्ते पर हावी होने लगा।
To be Continued…………………..

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