Wo Akhri Mulaqat – Part – 3
Wo Akhri Mulaqat – Part – 3
राधा लौट तो आई थी, लेकिन अब वह पहले जैसी नहीं रही। वह पूरी तरह टूट चुकी थी। ऑफिस में बैठी होती, तो अर्जुन के साथ बिताए हुए पल उसकी आँखों के सामने तैरने लगते। उसकी हंसी, मजाक, वो शाम की चाय, सब कुछ अब सिर्फ एक याद बनकर रह गया था। लेकिन इन यादों के साथ-साथ उसे अर्जुन का धोखा भी याद आता, और यही सोचते-सोचते वह अंदर ही अंदर घुलने लगी।
धीरे-धीरे, वह डिप्रेशन में जाने लगी। उसे किसी चीज़ में दिलचस्पी नहीं रही। न काम में मन लगता, न ही ज़िंदगी में कोई उत्साह बचा था। रातें बेचैनी में कटने लगीं, और हर सुबह उसे पहले से ज्यादा भारी लगने लगी।
उसका कमरा अब पहले जैसा नहीं था। किताबें धूल खाने लगीं, खिड़की से आती रोशनी अब उसे सुकून नहीं देती थी। उसे लगता, जैसे उसकी दुनिया अंधेरे में डूब गई हो।
अकेलेपन और दर्द से घिरी राधा ने एक दिन अपनी ज़िंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया। उसने अपनी सबसे करीबी दोस्त को एक आखिरी मैसेज भेजा – “मैं हमेशा के लिए अपने माँ-पापा के पास लौट रही हूँ। प्लीज़ मेरा सामान उन्हें पहुँचा देना।
उसकी दोस्त को यह पढ़कर झटका लगा। उसे तुरंत अहसास हुआ कि राधा कुछ गलत करने वाली है। बिना समय गंवाए, उसने राधा के ऑफिस के सीनियर को फोन किया और सारी बात बताई।
सीनियर घबरा गए और तुरंत ऐक्शन लिया। इससे पहले कि राधा ऑफिस से बाहर निकलती, उन्होंने उसे रोक लिया।
राधा ने उन्हें देखते ही कहा, “प्लीज़, मुझे जाने दीजिए… अब यहाँ कुछ बचा नहीं है।
लेकिन सीनियर ने उसकी आँखों में देख कर कहा, “राधा, ज़िंदगी खत्म करने से दर्द खत्म नहीं होता। चलो, बैठकर बात करते हैं। तुम अकेली नहीं हो।”
सीनियर की बात सुनकर राधा पूरी तरह टूट गई। उसकी आँखों से आंसू बह निकले और उसने अपने दिल का सारा दर्द उढ़ेल दिया। उसने अर्जुन के साथ बिताए हर लम्हे की याद, उसकी बेरुखी, उसका धोखा – सब कुछ कह दिया।
सीनियर ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “राधा, अगर तुम्हें वाकई इस दर्द से निकलना है, तो तुम्हें अर्जुन को अपने मन से निकालना होगा। और इसका सिर्फ एक ही तरीका है – एक बार उसे फोन करो और अपना सारा गुस्सा निकाल दो। उसे बता दो कि उसने तुम्हारे साथ क्या किया, और तुम अब आगे बढ़ रही हो। यह तुम्हारे लिए ज़रूरी है।
राधा ने पहले तो इस सुझाव पर संकोच किया, लेकिन फिर उसने फोन उठाया और अर्जुन का नंबर डायल किया।
फोन करते ही उसकी सांसें तेज़ चलने लगीं। उसे महसूस हुआ कि उसके अंदर अब कोई ताकत नहीं बची। देखते ही देखते, उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया और वह ऑफिस में बेहोश होकर गिर पड़ी।
ऑफिस के लोग घबरा गए और तुरंत उसे अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई और उसे भर्ती कर लिया। राधा के माता-पिता को तुरंत सूचित किया गया। जब वे अस्पताल पहुंचे, तो डॉक्टर ने उन्हें जो कहा, वो सुनकर उनकी आँखों में आंसू आ गए।
आपकी बेटी शारीरिक रूप से तो ठीक हो जाएगी, मगर असली समस्या उसकी मानसिक स्थिति है। वह अंदर से पूरी तरह टूट चुकी है। उसकी जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है।