𝐖𝐨 𝐀𝐤𝐡𝐫𝐢 𝐌𝐮𝐥𝐚𝐪𝐚𝐭 – Part – 𝟐
𝐖𝐨 𝐀𝐤𝐡𝐫𝐢 𝐌𝐮𝐥𝐚𝐪𝐚𝐭 – Part – 𝟐
राधा के लिए यह सब समझ पाना बेहद मुश्किल हो गया था। अर्जुन जो हर दिन उसकी दुनिया का हिस्सा था, अब धीरे-धीरे दूर हो रहा था। उसके कॉल्स कम हो गए थे, मैसेज का जवाब भी घंटों बाद मिलता और कभी-कभी तो आता ही नहीं। राधा ने कई बार सोचा कि शायद वह अपने नए शहर में व्यस्त होगा, लेकिन दिल के किसी कोने में अजीब सी बेचैनी थी।
आखिरकार, जब ये बेचैनी सहन से बाहर हो गई, तो उसने अर्जुन के सबसे अच्छे दोस्त, समीर से बात करने का फैसला किया। समीर ने राधा की आवाज़ में छुपे दर्द को महसूस किया, लेकिन वह कुछ कह नहीं सका। उसने सिर्फ इतना कहा, “राधा, अगर सच जानना चाहती हो तो खुद अर्जुन से मिल लो।
राधा को यह सुनकर और भी घबराहट हुई। समीर कुछ छुपा रहा था, ये बात साफ थी। लेकिन क्या? यह जानने का सिर्फ एक ही तरीका था – अर्जुन से मिलना।
अगले ही दिन, राधा ने अर्जुन के नए शहर की फ्लाइट बुक की और बिना किसी को बताए वहां पहुंच गई। वह सीधा अर्जुन के ऑफिस गई, लेकिन वहाँ उसे पता चला कि वह छुट्टी पर है।
अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ जाए। थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने अर्जुन के घर का पता खोजा और वहां पहुँच गई।
दरवाज़ा आधा खुला था, शायद किसी ने ठीक से बंद नहीं किया था। राधा ने अंदर झाँका और जो देखा, उससे उसकी आँखों में आंसू आ गए।
अर्जुन वहाँ था, लेकिन अकेला नहीं। उसके साथ एक लड़की बैठी थी, जो हँसते हुए उससे बात कर रही थी। राधा ने देखा कि अर्जुन की आँखों में वही चमक थी, जो कभी उसके लिए हुआ करती थी।
वह हिम्मत करके दरवाज़े तक गई और दरवाज़े पर दस्तक दी। अर्जुन ने जब उसे देखा, तो वह एक पल के लिए चौंक गया। उसकी आँखों में शर्मिंदगी झलक रही थी।
राधा ने खुद को संभालते हुए पूछा, “अर्जुन, क्या यही वजह थी तुम्हारी खामोशी की?
अर्जुन ने कोई जवाब नहीं दिया। बस सिर झुका लिया।
राधा की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया। उसने एक गहरी साँस ली, अर्जुन को आखिरी बार देखा, और बिना कुछ कहे वापस मुड़ गई।
शायद उसकी ज़िंदगी की किताब में अर्जुन सिर्फ एक अधूरा अधाय था, जिसे अब बंद करने का वक्त आ गया था।